खुर-मुँह रोग की रोक थम कैसे कर सकते है?

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इस बीमारी की रोकथाम हेतु, पशुओं को निरोधक टीका अवश्य लगाना चाहिये। ये टीका नवजात पशुओं में तीन सप्ताह की उम्र में पहला टीका, तीन मास की उम्र में दूसरा टीका और उस के बाद हर छः महीने में टीका लगाते रहना चाहिये।

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कृपया हमें यह सुझाव दें कि दूध देने वाले पशु को कितना पशु दाना/आहार देना चाहिए?

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दूध देने वाले पशु को उसकी उत्पादक क्षमता के अनुसार पोषाहार की आवश्यकता होती है| पोषाहार संतुलित हिना चाहिए| पोषाहार संतुलित बनाने के लिए इसके उचित मात्रा व भाग में प्रोटीन, ऊर्जा, वसा व खनिज लवण होने चाहिए|| औसतन एक देसी गाय को 1 कि.ग्राम अतिरिक्त पशु दाना प्रत्येक 2.5 कि.ग्रा. दूध उत्पादन पर देना आवश्यक है| उपरोक्त पशु दाना रख-खाव आहार के अतिरिक्त होना चाहिए उदहारण के लिए:- गाय का वज़न : 250 कि.ग्रा. (अन्दाज़)| दूध उत्पादन : 4 कि.ग्रा.प्रतिदिन| आहार जो दिया जाना है| भूसा/प्राल : 4 कि.ग्रा| दाना 2.85 4 कि.ग्रा (1.25 4 कि.ग्रा रखरखाव और1.6 4 कि.ग्रा आहार दूध उत्पादन के लिए)

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पशुओं के आहर व पानी की दिनचर्या कैसी होनी चहिये?

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किसी महापुरुष ने कहा है कि अपना भोजन समय पर खाएं, जिस तरह दवाई समय पर खाई जाती है। वरना खाने के समय पर जिंदगी भर दवाई ही खानी पड़ेगी। यह बात न केवल इंसानों पर लागू होती है। बल्कि पशुओं पर भी यही बात लागू होती है। लेकिन पशु स्वयं तो कुछ लेकर खा – पी नहीं सकते।

ऐसे में पशुपालकों की यह जिम्मेदारी है कि वह उनके खाने पीने का इंतजाम सही तरह से करके रखें। लेकिन कई बार खुद पशुपालक ही नहीं जानते कि पशु को खाने में क्या दें। अगर आप भी पशुपालन करते हैं और आपकी भी यही समस्या है, तो घबराइए मत। आज हम आपको अपने इस लेख में पशुओं की दिनचर्या में कब क्या और कितनी मात्रा में देनी चाहिए, इसकी जानकारी देने वाले हैं। 

पशु के लिए संपूर्ण आहार

इंसानी शरीर की तरह पशु के शरीर को भी कई तरह के पोषक तत्वों की जरूरत होती है। जब यह जरूरत पूरी नहीं होती तो इसकी वजह से न केवल पशु बीमार रहने लगता है। बल्कि इसका असर पशु की दूध देने की क्षमता पर भी पड़ता है। यही नहीं कई बार पशु कमजोरी के चलते मर भी जाता है। इसलिए जरूरी है कि पशु को एक संपूर्ण आहार नियमित रूप से दिया जाए। आप पशु को क्या खिला सकते हैं और कितना खिला सकते हैं। इसकी जानकारी हम आपको नीचे दे रहे हैं। 

कितनी बार दें पशु को आहार 

पशु के आकार और दूसरी कई चीजों के आधार पर ही पशु के आहार को तय किया जाता है। लेकिन एक बात जो इसमें सबसे जरूरी है कि पशु को दिन में कम से कम 3 से 4 बार चारा या आहार देना चाहिए। 

पशु का सूखा और हरा चारा

किसान और पशुपालक भाई अक्सर पशु की दूध उत्पादन क्षमता को बेहतर करने के लिए उन्हें अधिक मात्रा में हरा चारा देने लगते हैं। लेकिन यह पूरी तरह गलत है। जिस तरह पशु को हरा चारा दिया जाता है। ठीक उसी तरह पशु के लिए सूखा चारा भी जरूरी है। इसलिए पशु को सूखा और हरा चारा बराबर मात्रा में मिलाकर दें। 

पशु को दाना देना 

पशु के स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए उसे रोजाना कुछ मात्रा में दाना और नमक जरूर देना चाहिए। अगर ऐसा न किया जाए तो इसकी वजह से पशु के शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। ध्यान रहे कि दाना पशु को चारा देने के बाद ही दें।

घास की कमी होने पर 

किसान भाई इस बात से भली भांति परिचित हैं कि पशु को पूरे साल हरा चारा देना संभव नहीं है। ऐसे में जब पशु के लिए हरा चारा उपलब्ध न हो तो पशुपालक को इस स्थिति में पशु के लिए साइलेज का प्रबंध करना चाहिए।   

पशु को कितना पानी दें 

किसान भाई अक्सर आहार की कमी का तो ख्याल कर लेते हैं। लेकिन कई बार उन्हें पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं दे पाते। जिसकी वजह से पशु डिहाइड्रेशन का शिकार हो जाता है। पशु को इस स्थिति से बचाने के लिए रोजाना 35 से 40 लीटर पानी पिलाना चाहिए। 

हमें उम्मीद है कि हमारे द्वारा दी गई पशु आहार की जानकारी आपके काम आएगी। अगर आप इसी तरह की जानकारी से रूबरू होना चाहते हैं, तो आप हमारी Animall App को डाउनलोड कर सकते हैं। ऐप के जरिए पशु बेचा और खरीदा भी जा सकता है। इसके अलावा ऐप के माध्यम से पशु चिकित्सक से आपातकालीन स्थिति में सहायता भी ली जा सकती है। आप हमारी एनिमॉल ऐप को इस लिंक के जरिए डाउनलोड कर सकते हैं।  

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क्या पशु का आहार घर में बनाया जा सकता है?

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हाँ। घर पर दाना मिश्रण बनाने के लिए निम्न छटकों की आवश्यकता होती है:-
(क) खली = 25-35 किलो
(ख) दाना(मक्का, जौई , गेहूं आदि) = 25-35 किलो
(ग) चोकर = 10-25 किलो
(घ) दालों के छिलके = 05-20 किलो
(ङ) खनिज मिश्रण = 1 किलो
(च) विटामिन ए, डी-3 = 20-30 ग्राम

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जानिए क्या है, कृतिम गर्भाधान ( Artificial Insemination ) के लाभ

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किसान और पशुपालन करने वालों की आय को बढ़ाने के लिए हर तरफ से प्रयास किए जाते हैं। इसके लिए जहां सरकार योजनाएं चलाती हैं। वहीं दूसरी तरफ किसान और पशुपालकों को आय बढ़ाने के कई तरीके भी बताते हैं। ऐसे में एक पशुपालक जो दूध और उससे बने उत्पादों के जरिए आय अर्जित करते हैं। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती आती है, पशु को गाभिन कराने की। 

पशुपालक गाय या भैंस को गाभिन कराने के लिए एक सांड या बैल को नहीं पाल सकता। इसी समस्या से राहत दिलाने के लिए कृत्रिम गर्भाधान अपनाया जा रहा है। आज हम अपने इस लेख में पशुपालक भाइयों को कृत्रिम गर्भाधान के लाभ से जुड़ी जानकारी देने वाले हैं। अगर आप पशुपालन के कारोबार से जुड़े हुए व्यक्ति हैं तो यह लेख आपके बहुत काम आ सकता है। आइए विस्तार से जानते हैं आखिर क्या है कृत्रिम गर्भाधान के लाभ। 

कृत्रिम गर्भाधान के लाभ जानिए 

किसान और पशुपालन से जुड़े लोग अक्सर पशु की दूध उत्पादन क्षमता को बेहतर करना चाहते हैं। लेकिन आस पास अच्छी नस्ल का सांड या बैल न मिलने की वजह से वह किसी भी पशु के जरिए अपनी गाय या भैंस को गाभिन करवा लेते हैं। जिसकी वजह से पशु की दूध उत्पादन क्षमता कम रह जाती है। ऐसी स्थिति  में कृत्रिम गर्भाधान के फायदे हो सकते हैं। कृत्रिम गर्भाधान से जुड़े कुछ लाभ की सूची हम आपको अपने इस लेख में नीचे बता रहे हैं। लाभ जानने के लिए लेख पर अंत तक बने रहें। 

  • एक बैल या सांड को पालने में पशुपालक की आय का एक बड़ा हिस्सा खर्च हो सकता है। वहीं अगर किसी पशु को किराए पर भी लाकर गाय या भैंस को गाभिन कराया जाए, तो इसमें भी पशुपालक को अधिक धन खर्च करना पड़ता है। लेकिन वहीं कृत्रिम गर्भाधान की प्रक्रिया में पशुपालन करने वाले को बेहद कम पैसा ही खर्च करना पड़ता है। 
  • कृत्रिम गर्भाधान का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इस प्रक्रिया के जरिए एक समय पर कई गाय या भैंस को गाभिन किया जा सकता है। 
  • कृत्रिम गर्भाधान की प्रक्रिया में उत्तम विदेशी नस्ल के पशु के वीर्य को उपयोग किया जा सकता है। वहीं अगर इस नस्ल के पशु को बुलवाया जाए तो इसमें अधिक पैसा खर्च होगा। 
  • कृत्रिम गर्भाधान के दौरान पशु के गाभिन होने की संभावना अधिक रहती है। 
  • अगर पशुपालक कृत्रिम गर्भाधान का रास्ता अपनाते हैं तो इससे पशु के किसी रोग के संपर्क में आने की संभावना कम रहती है। 
  • कृत्रिम गर्भाधान की प्रक्रिया बेहद सुरक्षित होती है और इसे करने में भी कम ही समय लगता है। जबकि बैल या सांड के जरिए गर्भाधान कराने के समय अधिक वक्त की लग जाता है।
  • इस प्रक्रिया के जरिए उन नस्लों के पशुओं को बचाया जा सकता है जो विलुप्त होने की कगार पर खड़े हैं। 
  • पशु के वीर्य को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है और जरूरत पड़ने पर उपयोग किया जा सकता है। 
  • यह प्रक्रिया अमूमन 100 से 150 रुपए में हो जाती है। जबकि बैल या सांड के जरिए पशु को गाभिन करवाने पर अधिक पैसा खर्च करना पड़ता है। 

किसान भाई इस बात का ध्यान रखें कि किसी भी सूरत में कृत्रिम गर्भाधान केवल एक जानकार व्यक्ति से ही कराना चाहिए। अगर कृत्रिम गर्भाधान करने वाला व्यक्ति नौसिखिया हुआ तो इससे पशुपालक को नुकसान हो सकता है और पशु के भी किसी रोग से संक्रमित होने का खतरा बढ़ सकता है। 

आशा करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी। अगर आपको यह लेख पसंद आया हो और आप इसी तरह के लेख पढ़ना चाहते हैं तो आप हमारी ऐप भी डाउनलोड कर सकते हैं। हमारे द्वारा तैयार की गई Animall App का इस्तेमाल आप पशु खरीदने और बेचने के लिए भी कर सकते हैं। इसके अलावा पशुओं से जुड़ी किसी तरह की समस्या होने पर डॉक्टर से भी संपर्क कर सकते हैं। ऐप को डाउनलोड करने के इस विकल्प का चुनाव करें। 

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