विब्रियोसीस (vibriosis) क्या है और इससे कैसा बचा सकते है?

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किसान या पशुपालन करने वाले ज्यादातर लोगों को कई बार आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है। किसानों को होने वाले इस नुकसान के कई कारण हो सकते हैं, जैसे गाय की दूध उत्पादन क्षमता घटना, गाय का दूध दूषित होना या फिर गाय का गर्भपात होना आदि। आज हम अपने इस लेख में पशुपालक की इन्हीं समस्याओं में से एक के बारे में बात करने वाले हैं।

दरअसल हम बात कर रहे हैं गाय के गर्भपात होने की स्थिति के बारे में। पशुपालन से जुड़े लोग अक्सर देखते हैं कि, गाय का गर्भपात गर्भधारण करने के तीसरे महीने के आस पास होता है। आपको बता दें कि यह विब्रियोसिस नामक रोग के चलते होता है। आज हम जानेंगे कि इस रोग का कारण क्या है और आखिर किस तरह से पशु को इस रोग से बचाया जा सकता है।

क्या है विब्रियोसीस 

विब्रियोसीस एक ऐसा रोग है, जिसमें गर्भधारण करने के तीन महीने बाद पशु का गर्भपात हो जाता है। आपको बता दें कि विब्रियोसीस नामक यह रोग विब्रियो नाम के सूक्ष्म जीव के जरिए ही पैदा होता है। पशु को यह रोग अमूमन संक्रमित भैंसे या सांड से होता है। इस रोग की वजह से न केवल पशु का गर्भपात हो जाता है। बल्कि इसकी वजह से कई बार पशु पूरी तरह बांझपन का भी शिकार हो जाता है। 

विब्रियोसीस किस तरह का रोग है 

पशुपालन करने वाले भाइयों को बता दें कि यह बहुत ही संक्रामक रोग है जो बहुत तेजी से फैलता है। इस रोग के होने पर स्वस्थ पशुओं को संक्रमित पशु से दूरी पर बांध देना चाहिए। अगर ऐसा समय रहते न किया जाए, तो इसकी वजह से स्वस्थ पशु भी इस रोग की चपेट में आ सकते हैं। इसके अलावा पशुपालक इस बात का खास ध्यान रखें कि  किसी भी स्थिति में संक्रमित पशु का कम से कम 6 महीने तक गर्भधारण नहीं करवाना चाहिए। 

विब्रियोसीस रोग का उपचार और बचाव का तरीका 

किसान और पशुपालक भाई अपने पशु को इस रोग की चपेट में आने से बचा सकते हैं। इसके लिए पशुपालक पशु का केवल कृत्रिम गर्भाधान ही कराएं। ऐसा इसलिए क्योंकि यह रोग अमूमन एक संक्रमित भैंसे या सांड के संपर्क में आने से ही होता है। इसलिए हमेशा पशु का कृत्रिम गर्भाधान ही कराएं।

अगर आपका पशु इस गंभीर रोग से पीड़ित हो चुका है, तो आपको निश्चित रूप से चिकित्सक की सलाह की जरूरत पड़ेगी। ध्यान रहे कि किसी भी तरह की देसी दवा या उपाय इस समस्या का अंत नहीं कर सकता। आपको बता दें कि अमूमन डॉक्टर विब्रियोसीस की समस्या से पशु को छुटकारा दिलाने के लिए एंटीबायोटिक दी जाती है। अगर आप किसी तरह की दवा खुद भी देने की सोच रहे हैं तो पहले पशु चिकित्सक से जरूर बात कर लें। 

आशा करते हैं हमारे द्वारा दी गई विब्रियोसीस रोग से जुड़ी जानकारी आपको पसंद आई होगी। अगर आपको यह लेख पसंद आया हो तो आप ऐसी जानकारी हमारी ऐप पर भी पड़ सकते हैं। आपको बता दें कि हमारी एनिमॉल ऐप आपको कई तरह से फायदे दे सकती है जैसे पशु खरीदना, पशु बेचना या पशु से संबंधित चिकित्सीय सलाह लेने के लिए आदि। अगर आप Animall App डाउनलोड करना चाहें तो इस विकल्प पर क्लिक करके कर सकते हैं। 

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गलघोंटू रोग किस जीवाणु के कारण होता है?

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गलघोंटू रोग क्लासटीडीयम सैपटीकम जीवाणु द्वारा होता है| यह जीवाणु रोग ग्रसित पशु की मांस पेशियों में तथा मिट्टी व खाने की चीजों में पाया जाता है|

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बछड़े- बछड़ियों में सफेद दस्त क्यों होती है?

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अंग्रजी में ” व्हाइट सकाऊर ” नामक यह प्राणघातक रोग है जोकि 24 घण्टे में ही बछड़े की मृत्यु का कारण बन सकता है। इसमें बुखार आता है , भूख कम लगती है और बदहज़मी हो जाती है। पतले दस्त होते हैं जिस से बदबू आती है। इस से खून भी आ सकता है। इससे बचाव के लिये बछडों को प्रयाप्त खीस पिलाएं।

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खूनी पेशाब या हीमोग्लोबिन्यूरिया रोग क्यों होता है?

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ये रोग गायों-भैसों में ब्याने के 2-4 सप्ताह के अंदर ज्यादा होता है ओर गर्भवस्था के आखरी दोनों में भी हो सकता है। भैसों में ये रोग अधिक होता है। ओर इसे आम भाषा में लहू मूतना भी कहते है। ये रोग शरीर में फास्फोरस तत्व की कमी से होता है। जिस क्षेत्र कि मिट्टी में इस तत्व कि कमी होती है वहाँ चारे में भी ये तत्व कम पाया जाता है। अतः पशु के शरीर में भी ये कमी आ जाती है। फस्फोरस की कमी उन पशुओं में अधिक होती है जिनको केवल सूखी घास, सूखा चारा या पुराल खिला कर पाला जाता है।

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एक जानवर की पौष्टिक आवश्यकता क्या है?

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सामान्य नीयम के तहत एक दुधारू गौ को 40-50 कि.ग्रा. हरा चारा व 2.5-3.0 कि.ग्रा. दाना (प्रति कि.ग्रा. दूध उत्पादन) देना अनिवार्य है| परन्तु यह एक जानवर की कुल दीध उत्पादन व उसके वज़न पर निर्भर है|

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