भारत के डेयरी उद्योग में देसी गाय की नस्ल का एक बड़ा योगदान रहा है। देसी गाय की नस्ल भारत में मौजूद उन चुनिंदा नस्लों में से एक है जो अपनी दुधारू क्षमता के लिए जानी जाती है। यही नहीं, मध्यम आकार की ये गाय खेती बाड़ी और सामान ढुलाई के काम भी ली जाती है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से देसी गाय की कीमत, देसी गाय की पहचान, देसी गाय 1 दिन में कितना दूध देती है और देसी गाय की उम्र कितनी होती है, ऐसे सभी सवालों के जवाब देंगे। इसके अलावा भी अगर आप देसी गाय से जुड़ी किसी भी तरह की जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो इस लेख को अंत तक पढ़ें।
अंतर्वस्तु : |
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1. देसी गाय कहां पाई जाती है? |
2. देसी गाय की पहचान क्या है? |
3. देसी गाय की विशेषताएं |
4. देसी गाय के दूध की विशेषताएं |
5. देसी गाय की देखरेख का तरीका |
6. देसी गाय का आहार और उसकी मात्रा |
7. गाभिन देसी गाय की देखरेख |
8. देसी गाय के दूध बढ़ाने के तरीके |
9. देसी गाय के रोग और इलाज |
10. देसी गाय कहां से खरीदें? |
11. कैसे करें देसी गाय की कीमत तय? |
देसी गाय कहां पाई जाती है ? इस सवाल का जवाब कई लोगों के जहन में आता है, तो बता दें कि सबसे पहले भारत के हरियाणा राज्य के अंदर पाई गई थी। लेकिन आज देसी गाय की नस्ल भारत के लगभग हर कोने तक पहुंच गई है।
देसी गाय की पहचान मुख्य रूप से उसके रंग के जरिए होती है। ये गाय पूरी तरह सफेद रंग की होती है और इनके खुर एवं पूंछ के बाल केवल काले रंग के होते हैं। इनका हम्प पूरी तरह विकसित होता है। वहीं बात करें देसी गाय के वजन की तो इनका 300 से 400 के बीच तक जा सकता है।
देसी गाय की नस्ल दुधारू होने के साथ - साथ खेती बाड़ी के काम में उपयोगी होती है। ये गाय बेहद शांत स्वाभाव की होती है और इनकी भी काफी मजबूत होती है, जिसकी वजह से ये खतरनाक रोगों की चपेट में आसानी से नहीं आती। वहीं किसी तरह के रोग होने पर ये जल्दी ही ठीक भी हो जाती हैं।
ये किसी भी परिस्थिति या तापमान पर आसानी से रह लेती हैं और इसका असर इनकी दूध उत्पादकता पर भी दिखाई नहीं देता। इसके साथ ही देसी गाय कितने महीने में बच्चा देती है या कितने दिन में ब्याती है, ये सवाल अक्सर लोगों को परेशान करते रहते हैं तो बता दें कि देसी गाय पहली बार 24 से 30 महीने के बीच ब्याती है। इसके बाद हर 45 दिन बाद वह गाभिन होने के लिए तैयार होती है।
अत्याधिक हैं। लेकिन फिर भी कुछ लोग ये सवाल पूछते नजर आते हैं कि देसी गाय कितना दूध देती है या दे सकती है। अगर आप भी इस सवाल का जवाब ढूंढ रहे हैं तो बता दें कि ये गाय एक दिन में 12 से 15 लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती है। वहीं देसी गाय की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी काफी अच्छी होती है, इसलिए ये दूसरे मवेशियों के मुकाबले अधिक समय तक जीवित रहती है। देसी गाय 15 साल तक जीवित रह सकती है। इसके अलावा देसी गाय के दूध में ए 2 प्रोटीन पाया जाता है जिसे पचाना काफी आसान होता है।
देसी गाय की देखरेख में सबसे जरूरी है उनके रहने का स्थान। देसी गाय के लिए एक अच्छी पशुशाला का निर्माण करवाएं, जिसमे हवा की आवाजाही सही तरह से हो, इसके अलावा पशुशाला में गाय के भोजन पानी का भी उचित प्रबंध करें। इसके साथ ही कोशिश करें कि पशुशाला को जमीन से थोड़ा ऊपर बनवाएं ताकि बारिश का पानी पशुशाला में एकत्रित न हो।
देसी गाय अधिक दूध क्षमता रखने वाली गाय है, लिहाजा इनके आहार को संतुलित और पोषक तत्वों से भरा रखने पर ही इनकी उत्पादकता को बनाए रखा जा सकता है। ऐसे में देसी गाय को हर रोज 20 से 25 किलो हरा चारा और 3 से 5 किलो सूखा चारा जरूर दें। इसके अलावा देसी गाय को दाना मिश्रण, मिनरल मिक्सचर और 40 लीटर पानी जरूर पिलाएं। वहीं अगर गाय गाभिन हो या प्रसव के नजदीक हो तो उसके आहार में कुछ जरूरी पोषक तत्वों को भी शामिल करें।
गाभिन देसी गाय की देखरेख सही तरह हो इसके लिए शुरूआती तीन महीनों में गाय आहार को साधारण रखें। इसके बाद 3 से 6 महीने के दौरान गाय के आहार में प्रोटीन, खनिज और लवण को शामिल करें। इसके बाद 6 - 9 महीने के बाद गाभिन गाय को 10 से 15 ग्राम कैल्शियम, पाचक प्रोटीन, और विटामिन मिनरल्स को शामिल करें। इसके अलावा देसी गाय को रोजाना 50 ग्राम नमक जरूर मिले, इस बाद का भी खास ध्यान रखें। वहीं गाय के प्रसव से 2 महीने पहले उसका दूध निकालना पूरी तरह बंद कर दें।
पहली बार 24 से 28 महीने के बीच आती है और ये पहली बार गाभिन होने के लिए तैयार हो जाती है। इसके बाद जब एक बार देसी गाय का प्रसव हो जाए तो उसके 45 दिन तक गाय हीट में नहीं आती और इसके बाद ही हीट में आती हैं। वहीं बात करें देसी गाय की सामान्य तौर पर हीट में आने की तो ये 18 से 21 दिन के बीच हीट में आ जाती है।
देसी गाय को गाभिन करने का सबसे सही समय तब होता है जब गाय को हीट में आए हुए 18 से 24 घंटे बीत चुके हों। इस दौरान आप एक अच्छे सीमेन से गाय को गाभिन करा सकते है या फिर आप चाहें तो गाय को गाभिन करने के लिए बैल का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। गाय को जल्दी गाभिन करने के लिए एआई (AI) कराना फायदेमंद होता है। लेकिन ध्यान रहे कि गाय को गाभिन करने के लिए सीमेन सही हो, तभी गाय गाभिन हो पाएगी।
देसी गाय के गाभिन होने के बाद का समय तो साधारण होता है। लेकिन जब बात आती है गाय के प्रसव के समय की, तो इस दौरान की गई कई गलतियां गर्भपात का कारण बन जाती है। इसलिए हम आपको नीचे बता रहे हैं कि देसी गाय के प्रसव के समय किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
देसी गाय एक अच्छी रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली गाय है। लेकिन इसका मूल स्थान हरियाणा होने की वजह से गर्म तापमान पर आसानी से रह लेती है। ऐसे में अगर आप ये गाय रखना चाहते हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि इन्हें अधिक ठंड न लगें । वहीं गाय को रखने के लिए एक ऐसा तापमान सबसे उपयुक्त रहेगा जो न अधिक ठंडा हो और न ही अधिक गर्म हो।
देसी गाय का दूध बढ़ाने के कई कारगर तरीके हैं, लेकिन ये सभी तरीके अलग - अलग स्थितियों पर निर्भर करते हैं जैसे अगर गाय के शरीर में कैल्शियम की कमी हो गई है तो इसके लिए सप्लीमेंट की आवश्यकता होगी। वहीं अगर गाय अपनी दूध क्षमता से कम दूध दे रही है तो ऐसे में गाय के आहार में बदलाव करना होगा। वहीं अगर गाय के शरीर में पोषक तत्वों की कमी है तो इसमें कुछ अन्य सामग्री देनी होगी। आइए विस्तार से जानते हैं कि देसी गाय के दूध बढ़ाने के लिए कौन से तरीके अपनाने चाहिए।
देसी गाय अगर अपनी क्षमता से कम दूध दे रही है तो इसका सबसे बड़ा कारण खराब या कम आहार हो सकता है। ऐसे में देसी गाय को सुपर नेपियर 20 घास या फिर सोया जैसे आहार खिलाकर उनका । इसके अलावा देसी गाय को कोई भी हरा चारा और सूखा चारा खिलाकर गाय का दूध बढ़ा सकते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर आप गाय को 15 से 18 किलो ही चारा दे रहे थे, तो इसकी मात्रा को 25 से 30 किलो कर दें। इसके जरिए आपकी गाय का दूध बढ़ जाएगा।
देसी गाय के दूध को बढ़ाने के लिए कैल्शियम जेल और हिमशक्ति दिया जा सकता है। देसी गाय को दिए जाने वाले ये सप्लीमेंट उनके शरीर में तुरंत कैल्शियम की कमी को पूरा करते हैं और तत्काल गाय का दूध बढ़ा देते हैं। इसके अलावा ये देसी गाय को तनाव जैसी समस्याओं से भी दूर कर देते हैं।
देसी गाय का दूध बढ़ाने में दाना मिश्रण भी उपयोगी सिद्ध हो सकता है। आपको दाना मिश्रण में गुड़, मक्का, बाजरा, गेंहू, खली, मुंगफली, अलसी आदि को शामिल करना है। इन सभी को उचित मात्रा में लेकर दाना मिश्रण तैयार करना है। इसके बाद रोजाना गाय को थोड़ी - थोड़ी मात्रा में देना है। इसके जरिए देसी गाय का दूध तेजी से बढ़ने लग जाएगा।
देसी गाय यूं तो भारतीय नस्ल है, लेकिन कई बार इनमें खतरनाक रोग पैदा हो जाते हैं, जिसकी वजह से इस गाय की उत्पादकता घटने लगती है और कई बार इनकी मौत तक हो जाती है। हम आपको नीचे देसी गाय से जुड़े कुछ रोग और उनके इलाज के बारे में बता रहे हैं।
देसी गाय के अंदर ये रोग अमूमन मानसून के दौरान या फिर गीले और गंदगी में रहने की वजह से होता है। आपको बता दें कि इस रोग के जीवाणु का नाम Pasteurella multocida है। इस रोग में पशु को तेज बुखार हो जाताा है और सांस लेने में भी काफी तकलीफ होती है। देसी दिखते ही तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
खुरपका मुहंपका रोग काफी खतरनाक है और इस रोग के होने पर गाय के मुंह और पैरों में दाने हो जाते हैं और ये फूट जाते हैं। जिसके कारण मुहं और पैरों में घाव बन जाते हैं और इस स्थिति में गाय तनाव में आ जाती है। ये रोग भी गीले स्थान पर रहने की वजह से या मानसून के दौरान ही होता है। इस रोग के होने पर गाय को एंटी इंफ्लेमेटरी दवा दी जाती है और मुहं एवं पैरो को फिटकरी से साफ किया जाता है। देसी गाय में दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
आमतौर पर अधिक दुधारू गायों में होता है। इस रोग के होने की कई वजह हो सकती हैं जैसे थनों में कट लगना, थनों में चोट लगना, अंगूठों के जरिए दूध निकालना, थनों में गांठ पड़ना आदि। ऐसे में देसी गाय में थनैला को रोकने के लिए या इसके इलाज के लिए कई तरीके अपनाए जा सकते हैं जैसे गाय के दूध की समय - समय पर जांच करना, थनों की जांच करना आदि। इसके अलावा देसी गाय को थनैला से राहत दिलाने के लिए आप लैक्टामेज़ - प्रतिरोधी पेनिसिलिन दवा दे सकते हैं।
देसी गाय को रोगों से बचाने के लिए कई तरह के टीके लगवाए जा सकते हैं। जैसे गलघोंटू का टीका, ब्रुसेला का टीका, लंगड़े बुखार का टीका और हेमोरेजिक सेप्टीसीमिया का टीका। ये सभी टीके देसी गायो को मानसून के दौरान या हर 6 महीने के बाद लगवाने चाहिए। इसके साथ ही गाय को कुछ अन्य टीके भी लगवाए जाने चाहिए जो पशुपालक द्वारा तय किए गए हों।
देसी गाय की डीवॉर्मिंग करने के दो तरीके हैं। इसमें पहला तरीका है दवा या किसी पाउडर के जरिए। आपको बता दें कि बाजार में ऐसी कई दवाएं और पाउडर मिलते हैं, जिसे पशु को आहार में मिलाकर देने से उनके पेट के कीड़े मर जाते हैं। हालांकि ये दवा या पाउडर केवल पशु चिकित्सक की सलाह पर ही पशु को देनी चाहिए। इसके अलवा दूसरा विकल्प है कि काली जीरी के जरिए देसी गाय की डीवॉर्मिंग कराई जाए। ज्ञात हो कि गाय के डीवॉर्मिंग हर 6 महीने में जरूर कराएं।
देसी गाय कहां से खरीदनी चाहिए? इसके लिए दो विकल्प आपके पास मौजूद हैं, एक है पशु मंडी या पशु मेला और दूसरा है Animall App। इस ऐप को डाउनलोड करके आपको अपना रजिस्ट्रेशन करना होगा और आप फिर आसानी से घर बैठे - बैठे ही बिना किसी कमीशन के देसी गाय खरीद पाएंगे। यही नहीं आप चाहें तो किसी भी नस्ल की गाय को आप ऐप के जरिए बेच भी सकते हैं।
देश में सबसे सस्ती देसी गाय आपको Animall ऐप पर ही मिल जाएगी। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां हर रोज हजारों की संख्या में बिकाउ गाय की लिस्टिंग अपलोड होती है। इनमें से आप अपने बजट के मुताबिक देसी गाय खरीद सकते हैं।
देसी गाय खरीदने से पहले कई तरह की बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। वरना खरीदारी करते समय ठगी होने की संभावना अधिक रहती है। इसलिए देसी गाय खरीदते समय उसके दोनो समय का दूध, ब्यात और उम्र के बारे का पता करें। इसके अलावा गाय को किसी तरह का रोग तो नहीं है या फिर गाय के थन में तो किसी तरह की दिक्कत नहीं है। इन सारी बातों को ध्यान में रखकर ही देसी गाय खरीदनी चाहिए।
देसी गाय की कीमत उसके दूध, ब्यात, उम्र और उसके साथ मौजूद बच्चे पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए अगर देसी गाय दूसरे - तीसरे ब्यात की है और वो 12 लीटर दूध दे रही है , एवं उसके साथ में बछड़ी है तो इस गाय की कीमत आपको 60000 तक पड़ जाएगी। वहीं अगर ब्यात अधिक है और दूध 12 लीटर है तो कीमत 45 हजार तक हो सकती है। आपको बता दें कि एक सामान्य देसी गाय की कीमत 25 हजार से लेकर 60 हजार तक हो सकती है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल |
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देसी गाय और जर्सी गाय में क्या अंतर है? उत्तर देसी गाय का हम्प उठा हुआ होता है और जर्सी गाय का हम्प उठा हुआ नहीं होता। |
देसी गाय का दूध पीला क्यों होता है ? उत्तरदेसी गाय की पीठ पर हम्प होता है जिसमें सूर्यकेतु नाड़ी होती है। ये नाड़ी चमकने वाली चीजों से ऊर्जा लेती है और इसकी वजह से इनके दूध में अधिक पोषक तत्व पाए जाते हैं। ये एक सबसे बड़ा कारण है कि देसी गाय का दूध पीला होता है। |
शुद्ध देसी गाय के दूध की पहचान कैसे करें ? उत्तरशुद्ध देसी गाय का दूध आपको सुनहरे और पीले रंग का दिखाई देगा। इसके अलावा देसी गाय के दूध से बने उत्पाद भी सुनहरे रंग के ही होंगे। |
सबसे अच्छी देसी गाय कौन सी है ? उत्तरसबसे अच्छी देसी गाय गिर नस्ल को माना जाता है। इस गाय के दूध में ए2 प्रोटीन तो होता ही है। इसके अलावा ये गाय लंबे समय तक ज्यादा मात्रा में दूध दे सकती है। |
देसी गाय का दूध कितने रुपए लीटर है? उत्तरदेसी गाय का दूध आपको बाजार में 60 रुपए लीटर आसानी से मिल जाएगा। |
देसी गाय या जर्सी गाय कौन सा दूध बेहतर है? उत्तर देसी गाय और जर्सी गाय में से देसी गाय का दूध अधिक फायदेमंद माना जाता है। दरअसल देसी गाय ए 2 मिल्क देती है और इसे पचाना भी आसान होता है। |
To improve the lives of dairy farmers in a meaningful way by making dairy farming significantly more profitable. Further, more than 15,00,000+ cattle have been sold through Animall which amounts to INR 7500cr+ of GTV. Our dairy farmers have rated us 4.8 out of 5 and 65%+ of them refer Animall to at least one friend monthly.